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बच्चों को गैजेट नहीं, टाइम दें!
आजकल कम उम्र में बच्चे आत्महत्या जैसा भयानक कदम उठाने से भी परहेज नहीं करते। इसकी बड़ी वजह है परिवार, संयुक्त परिवार की जगह एकांकी परिवार का बढ़ता चलन। बात यहीं तक सीमित नहीं है, समस्या यह भी है घर में रहते हुए भी लोगों का अधिकांश समय आपसी बातचीत से अधिक मोबाइल, टीवी में गुजरता है। इस वजह से आपस में सामाजिक दूरियां भी बढ़ रही हैं।
एनडीए की जीत पर पाकिस्तान सदमे में!
भारत में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा अकेले दम पर बहुमत आंकड़ा पार नहीं कर पाई तो सबसे ज्यादा खुश पाकिस्तानी नेता नजर आए। 2019 के मुकाबले भाजपा की सीटें घटने पर पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार में मंत्री रहे फवाद चौधरी ने खुशी जताई। फवाद ने कहा कि उनको उम्मीद थी कि भारत की जनता नरेंद्र मोदी और उनकी विचारधारा को खारिज करेगी।
एनडीए ने 9, इंडिया ने 5 सीटों पर जमाया कब्जा
भाजपा को रांची, धनबाद, पलामू, कोडरमा, चतरा हजारीबाग, जमशेदपुर और गोड्डा सीट पर सफलता मिली तो आजसू एक बार फिर गिरिडीह सीट बचाने में सफल रहा। वहीं इस बार दुमका, राजमहल और सिंहभूम सीट झामुमो के खाते में गई तो वही लोहरदगा और खूंटी सीट कांग्रेस ने जीत ली। एनडीए और इंडिया के लिए प्रतिष्ठा बनी खूंटी और दुमका भी भाजपा ने गंवा दी। यहां से केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और हाल ही में झामुमो छोड़कर भाजपा में शामिल हुईं सीता सोरेन दुमका सीट नहीं बचा सकी। दो बार चुनाव जीतने वाली लोहरदगा संसदीय सीट भी भाजपा ने गंवा दी।
लालू की रणनीति से गठबंधन के सहयोगी भी चित
बिहार में पूरे लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तो इंडिया गठबंधन जिस तरह के जीत के दावे कर रहा था, वैसी सफलता नहीं मिली। हालांकि, उसे नौ सीटों मिली जीत छोटी नहीं है, क्योंकि पिछली बार महज एक सीट पर जीत मिली थी। इस जीत में बड़ी भूमिका तेजस्वी यादव की रही। पिता लालू प्रसाद की पूरी रणनीति पर उन्होंने काम किया और पूरे चुनाव प्रचार में वे बड़े स्टार प्रचारक के रूप में रहे। चुनाव प्रचार के दौरान पूरे इंडिया गठबंधन में राजद को छोड़ अन्य किसी बड़े नेता ने चुनाव प्रचार को बहुत गंभीरता से नहीं लिया।
नीतीश कुमार का साथ एनडीए पर भरोसा
एनडीए से भाजपा ने 17 तो जदयू ने 16 सीटों पर चुनाव लड़ा था। दोनों ही दलों को 12-12 प्रत्याशी जीते। लोजपा (रामविलास) को पांच सीटें बंटवारे में मिली थीं। चिराग पासवान के नेतृत्व उसने सभी सीटों पर जीत हासिल की। एनडीए के अन्य सहयोगी जीतनराम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) को एक सीट दी गई थी। गया की एकमात्र सीट पर मांझी लड़े और उन्हें जीत मिली।
अब मंथन का दौर
जाति, धर्म, राम मंदिर, आरक्षण, मुस्लिम आरक्षण, संविधान, महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, ईवीएम, किसान से लेकर वो जिहाद, मंगलसूत्र, मुजरा, कानून व्यवस्था, बाहुबली, मिट्टी में मिल गये माफिया, मोदी सरकार की कल्याणकारी योजनायें, सब छाये रहे। एनडीए सरकार की सभी योजनाओं में से प्रति व्यक्ति 5 किलो मुफ्त अनाज प्रभावी और दूरगामी प्रतीत हुआ।
योगी के साथ किसने कर दिया 'खेला'!
राजनीति के गलियारों में चर्चा है कि एक समय जब बीजेपी आलाकमान ने काफी गंभीरता के साथ यह तय कर लिया था कि उत्तर प्रदेश में खराब छवि वाले करीब ढाई दर्जन सांसदों के टिकट काटे जायेंगे तो फिर ऐसा क्या हुआ, जो ऐन वक्त पर करीब-करीब सभी खराब और दागी छवि वाले सांसदों को टिकट थमा दिया गया। कुछ लोग इसे योगी के खिलाफ साजिश बता रहे हैं। यह साजिशकर्ता कौन हैं?
देवभूमि में भाजपा की हैट्रिक से बढा धामी का कद
इस बार के लोकसभा चुनाव में भी राज्य की जनता भाजपा के साथ मजबूती से खड़ी रही और पांचों सीटें फिर से उसकी झोली में डालने का काम किया। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार राज्य में डबल इंजन का दम अभी भी बरकरार है। बीते 10 वर्षों के कालखंड में ही राज्य को प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार से लगभग डेढ़ लाख करोड़ की लागत वाली तमाम परियोजनाएं, योजनाएं हासिल हुई हैं। इनके काम धरातल पर दिख भी रहे हैं, जिसने मतदाताओं के मन में विश्वास भरने का काम किया।
अबकी बार एनडीए सरकार
भाजपा ने 'राम' नाम के सहारे यूपी ही नहीं देश फतह करने के मंसूबे पाल रखे थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यूपी में भाजपा मात्र 33 सीटों पर सिमट गयी। यूपी में भाजपा और एनडीए को सबसे ज्यादा नुकसान विपक्ष के इण्डिया गठबंधन ने पहुंचाया। यहां 2019 में एक सीट जीतने वाली कांग्रेस ने इस बार छह सीटों पर जीत का परचम लहराया तो वहीं समाजवादी पार्टी ने 37 सीटें जीतकर चौंका दिया।
चुनाव और चारधाम यात्रा - धामी ने बेहतर तरीके से संभाला
मई महीने में धामी ने यूपी, झारखंड, दिल्ली, तेलंगाना, महाराष्ट्र, पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा और हिमाचल राज्य की विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार किया और उनके पक्ष में वोट डालने की अपील की।
देवभूमि में जनजातियों पर भी भाजपा की नजर
जनसंख्या के हिसाब से देखें तो उत्तराखंड में जनजातियों की आबादी तीन लाख के लगभग है, लेकिन भाजपा का प्रयास है कि वह प्रत्येक जनजाति परिवार तक पहुंचे। पार्टी कार्यकर्ताओं ने इसके लिए दस्तक देनी भी शुरू कर दी है। वे जनजाति बहुल गांवों व क्षेत्रों में जाकर उनके उत्थान को केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दे रहे हैं। इस दौरान अति पिछड़ी जनजातियों के उत्थान को केन्द्र के प्रधानमंत्री जनजातीय एवं आदिवासी महाभियान (पीएम-जनमन) का विशेष तौर पर उल्लेख किया जा रहा है।
पलायन व पर्यावरण की चिंता नहीं बना मुद्दा
उत्तराखंड में वर्तमान में नगरीय क्षेत्रों की संख्या 102 है। इनमें नौ नगर निगम और शेष नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत हैं। इसके अलावा लगभग आठ नए नगरीय क्षेत्रों के लिए निकायों के गठन की प्रक्रिया गतिमान है। राज्य के इन शहरों की तस्वीर पर नजर दौड़ाएं तो यह अनियोजित विकास की मार से अछूते नहीं है। पहाड़ के गांवों से पलायन के चलते इन शहरों पर जनदबाव अत्यधिक है।
कहीं मोहरा तो नहीं बन गयीं स्वाती मालीवाल!
आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल से कथित मारपीट के मामले में दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने स्पष्ट आरोप लगाया कि बीजेपी ने साजिश रची। इसी साजिश के तहत बीजेपी ने स्वाति को केजरीवाल के आवास पर भेजा। इस साजिश का मकसद था केजरीवाल पर झूठा आरोप लगाना। स्वाति इस साजिश का चेहरा थीं। स्वाति बिना अपॉइंटमेंट लिए मुख्यमंत्री आवास पहुंची थीं। उनका इरादा था कि सीएम पर आरोप लगाए जाएं मगर वो उस समय उपलब्ध नहीं ये तो वो बच गए। इसलिए स्वाति ने बिभव कुमार पर आरोप लगाए।
जानलेवा तापमान तोड़े सारे रिकॉर्ड
भारत ही नहीं दुनिया के तमाम शहरों में कुछ समय पूर्व चढ़ते पारे ने नया रिकॉर्ड बनाया। साल-दर-साल बढ़ती गर्मी ने हीटवेव को और जानलेवा बना दिया। दुनिया के तमाम देशों में लगातार तापमान बढ़ता ही गया। 2022 में इंग्लैंड का तापमान जुलाई में 40 डिग्री सेल्सियस के पार था। चीन में पिछले साल अधिकतम तापमान 52 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था। इटली में तो 2021 में ही पारा 48.8 डिग्री पहुंच चुका था। इस साल भारत में भी तापमान के सारे रिकॉर्ड टूटते नजर आये।
उनका हर किरदार है अभिनय की पाठशाला
कभी खलनायक तो कभी पुजारी और चर्चित सीरियल 'ऑफिस-ऑफिस' में मुसद्दीलाल न पर्दे पर छाए पंकज कपूर के सभी किरदार अभिनय की पाठशाला हैं। हिन्दी सिनेमा में बहुत कम कलाकार ऐसे हैं, जिन्होंने अपने किरदारों से अभिनय को परिभाषित किया है। उनके किरदारों की पहचान उनके नाम से आगे चलती है।
भारत की पहली 'हाइब्रिड पिच' बनेगी धर्मशाला
हाइब्रिड पिच में मैदान के अंदर की कुदरती टर्फ यानी मैदान की घास के साथ कुछ फीसदी हिस्सा पोलिमर फाइबर का होता है। इससे पिच टिकाऊ रहती है और इस पर एक जैसा उछाल भी मिलता है। इसमें पोलिमर फाइबर का इस्तेमाल पांच फीसदी ही होता है जिससे पिच के नेचुरल गुण बने रहें। यह आमतौर पर बेज या हरे रंग के होते हैं, इन्हें 20-20 मिमी ग्रेड के नियमित पैटर्नमें 90 मिमी की गहराई तक सिला जाता है।
आईपीएल यानि क्रिकेटेनमेंट
फटाफट क्रिकेट आईपीएल में ये पूरी तरह क्रिकेटेनमेंट बन जाता है। बॉलीवुड सितारों की चमक-दमक के साथ तीन घंटे का रोमांच। इस दौरान यह खेल नाटक में तब्दील हो जाता है। एक नया मार्केट प्लेस जिसे 'क्रिकेटेनमेंट' के नाम से जाना जाता है। यहां क्रिकेट बिल्कुल अलग तरीके से खेला जाता है। मजे लेने का अंदाज भी जुदा है। स्टेडियम में बड़ा रंगीन माहौल होता है। हर चौके, छक्के और विकेट पर चीयर लीडर्स डांस करती हैं।
सिविल अधिकारियों की चुनौतियों पर बेबाक चर्चा होनी चाहिए!
सदनों की समिति के भीतर जनप्रतिनिधियों द्वारा पूछे गए उत्तर अधिकारियों को नागवार लगते हैं। निर्वाचित सरकार द्वारा बनाए गए कार्यक्रमों को पूरा करना सिविल अधिकारियों की जिम्मेदारी है। विकास कार्यों को ठीक से सम्पन्न कराना भी इन्हीं की जिम्मेदारी है। लेकिन तमाम राज्यों में भिन्न-भिन्न विभागों के लिए निर्धारित बजट का बड़ा भाग उपयोग में ही नहीं आता।
माँ का रिश्ता सबसे अनमोल
अंतर्राष्ट्रीय मातृ दिवस (12 मई) पर विशेष
दुनिया की 'कैंसर राजधानी' बनता भारत
महिलाओं में सबसे आम कैंसर स्तन कैंसर, गर्भाशय ग्रीवा कैंसर और डिम्बग्रंथि कैंसर हैं, जबकि पुरुषों में आमतौर पर पाये जाने वाले कैंसर में फेफड़े, मुंह और प्रोस्टेट आदि जैसे कैंसर शामिल हैं। वैश्विक प्रवृत्ति के विपरीत, भारत में सबसे अधिक महिलाओं में कैंसर का निदान किया जाता है। हालांकि भारत में सालाना दस लाख से अधिक नए मामले सामने आते हैं, यहां कैंसर की दर डेनमार्क, आयरलैंड और बेल्जियम जैसे देशों या अमेरिका से कम है।
छद्म की जगह खुला युद्ध क्यों चुन रहा ईरान!
नेताओं ईरान के परमाणु कार्यक्रम के प्रति इजराइल का यह डर, पूर्व में ईरानी द्वारा खुले तौर पर इजराइल के विनाश की वकालत करने से सच साबित होता है। उदाहरण के लिए, अक्टूबर 2005 में ईरान के राष्ट्रपति महमूद अहमदी ने खुले रूप से घोषणा किया कि इजराइल को 'मानचित्र से मिटा दिया जाना चाहिए।' इस उत्तेजक बयानबाजी ने इजराइली चिंताओं को बढ़ाया है जो ईरान की परमाणु महत्त्वाकांक्षाओं से उत्पन्न कथित खतरे को रेखांकित करता है।
क्या चीन की गोद में खेल रहे सोनम वांगचुक?
सोनम वांगचुक को जिस मूवी थ्री इडियट्स ने हीरो बनाया, वह मूवी उनकी असली जिंदगी से एक प्रतिशत भी वास्ता नहीं रखती, यह बात खुद सोनम वांगचुक ने दर्जनों बार मीडिया में कबूली है। मूवी में जिस वैज्ञानिक फुन्सुक (सोनम वांगचुक से प्रेरित चरित्र) का किरदार आमिर खान ने निभाया है, वह माली का बेटा है, जबकि सोनम वांगचुक मंत्री के बेटे हैं। उनके पिता सोनम वांग्याल कांग्रेस नेता थे, जो बाद में राज्य सरकार में मंत्री बने।
बाड़मेर में राष्ट्रीय दलों के खिलाफ युवा जनसैलाब
रवीन्द्र सिंह भाटी को टिकट न देकर बीजेपी ने अपनी मुश्किलें बढ़ा ली हैं। अब कांग्रेस को जीत की किरण दिख रही है, लेकिन सर्वे कुछ और बयां कर रहे है। 2024 में राजस्थान की बाड़मेरजैसलमेर सीट चर्चा का विषय बनी हुई है। शिव विधानसभा सीट से विधायक बनने वाले रवीन्द्र सिंह भाटी ने निर्दलीय पर्चा भरा है। उनके चुनावी मैदान में उतरने से बाड़मेर के समीकरण रोचक हो गए हैं।
नक्सलियों के गढ़ में जमकर वोटिंग
प्रथम चरण के लोकसभा चुनाव में 19 अप्रैल को बस्तर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में शांतिपूर्ण तरीके से वोट पड़े और मतदान प्रतिशत में भी इजाफा हुआ है। बस्तर में जहां पहले नक्सली चुनाव के दौरान भय पैदा करने के लिए धमाके करते थे, गांव में बैठक कर लोगों को डराते थे, मगर नक्सलियों का अब यह डर लोगों के दिमाग से निकल चुका है। यह कहा जा सकता है कि बैलेट पेपर अब बारूद पर भारी पड़ रहा है।
शिखर से सिफर तक...
समाजसेवी अन्ना हजारे का आंदोलन अरविंद केजरीवाल के जीवन का बहुत बड़ा टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने यहां से राजनीतिक उड़ान भरी। साल 2013 में हुए दिल्ली के चुनावों में आम आदमी पार्टी को 28 सीटों पर जीत मिली और आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन जिस भ्रष्टाचार के खिलाफ केजरीवाल राजनीति में आए, उसी भ्रष्टाचार में लिप्त पाये जाने पर जेल के सलाखों के पीछे हैं।
सिविल सेवा की सफलता से मुस्लिम समाज गौरवान्वित
किसी समाज के उत्थान में किसी न किसी प्रेरणा की आवश्यकता होती है जिसकी वजह से वह समाज सफलता के पथ पर अग्रसर हो जाता है। अब बात आती है अल्पसंख्यक समुदाय के बीच सिविल सेवा परीक्षा के बारे में जागरूकता की, तो जब शाह फैसल ने 14 साल पहले यूपीएससी की परीक्षा में टॉप किया था, इससे न केवल मुसलमानों में गर्व की भावना पैदा हुई, बल्कि सिविल सेवाओं में नए सिरे से रुचि पैदा हुई। शाह फैसल ने 2010 में टॉप करके कश्मीरियों समेत पूरे देश के मुस्लिम युवाओं को प्रेरणा दी थी।
ईवीएम सही, आशंकाएं गलत
चुनाव आयोग का कहना है कि विभिन्न हाईकोर्ट ने ईवीएम को भरोसेमंद माना है। साथ ही, ईवीएम के पक्ष में अलग-अलग हाईकोर्ट द्वारा दिए गए कुछ फैसलों को जब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, तब सुप्रीम कोर्ट ने उन अपीलों को खारिज कर दिया।
आजादी के बाद पहली बार वोटिंग
झारखड जिसे 'जंगल की धरती' कहा जाता है, यह पूर्वी भारत में एक छोटा सा राज्य है। झारखंड का गठन 15 नवंबर सन् 2000 को किया गया था। पहले यह बिहार का दक्षिणी हिस्सा हुआ करता था। रांची इसकी वर्तमान राजधानी है। यहां से लोकसभा के लिए 14, राज्यसभा के लिए 6 और राज्य विधानसभा के लिए 82 सदस्य चुने जाते हैं।
'माननीय' बनने में क्यों पिछड़ रही 'आधी आबादी'
राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम क्यों है? इसकी वजह तालाशी जाए तो यह साफ है कि भारत एक गहन पितृसत्तात्मक समाज है और महिलाओं को प्रायः पुरुषों से हीन माना जाता है। यह मानसिकता समाज में गहराई तक समाई हुई है और महिलाओं की राजनीति में नेतृत्व एवं भागीदारी की क्षमता के संबंध में लोगों की सोच को प्रभावित करती है।
जेहाद की जद में उत्तराखंड
देवभूमि उत्तराखंड धार्मिक जेहाद की जद में है। आलम यह है कि जेहाद की तपिश इतनी बढ़ गई कि इसे थामने के लिए सामाजिक विरोध के साथ ही कानूनी-प्रशासनिक कोशिशें करनी पड़ रही हैं। स्थानीय लोग बाहरियों को भगा रहे हैं। तो सरकार बाहर से आने वालों के लिए कानून बना रही है। हालांकि मर्ज गहरा है और इसे केवल धर्म के आधार पर रोक पाना समाज व सरकार दोनों के लिए खासा चुनौतीभरा है।