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பிள்ளைத் தமிழ் பாடிய பெரியாழ்வாரின் பக்தி
ஆழ்வார்களில் பெரியாழ்வாருக்கு ஒரு ஏற்றம் உண்டு. மற்றைய ஆழ்வார்களுக்கு இல்லாத ஒரு சிறப்பு \"பெரியாழ்வார்\" என்ற அவர் பெயரிலேயே இருக்கிறது
ராமபிரானைக் கண்ட துளசிதாசர்!
\"நீ...மந்தாகினி நதிக்கரையில் நீராடிவிட்டு, இடைவிடாது ராமநாமத்தை ஜெபித்துக் கொண்டே இரு. நிச்சயம் அவர் உனக்கு காட்சி தருவார்\" என்று கூறினார்
നന്മ നിറഞ്ഞ പ്രവൃത്തികളാണ് മഹത്വത്തിനാധാരം
പക്വമതിയായ അഭിജിത്താകട്ടെ തന്റെ സദ്പ്രവർത്തികൾ പതിവുപോലെ തുടരുകയും അതിലൂടെ പലരുടേയും വീട്ടിൽ സന്തോഷം പ്രകാശം പരത്താൻ തുടങ്ങുകയും ചെയ്തു.
ദീപങ്ങൾ സാക്ഷിയാകുന്ന ആരാധനാ സമ്പ്രദായം
ദീപാരാധന എന്നാൽ ദീപങ്ങൾ കൊണ്ടുളള ആരാധനയാണ്. പൂജാ വേളയിലെ ഒരു വിശേഷപ്പെട്ട ചടങ്ങാണ് ദീപാരാധന. താന്ത്രികമായും, മാന്ത്രികമായും വൈദിക കർമ്മങ്ങളിലൂടെ സകല ചൈതന്യവും ഭഗവദ് പാദത്തിലേക്ക് അർപ്പിക്കുകയാണ് ദീപാരാധനയുടെ മുഖ്യ ലക്ഷ്യം. ദീപാരാധന എന്നതുകൊണ്ട് സാധാരണ അർത്ഥമാക്കുന്നത് സന്ധ്യാവേളയിൽ നടത്തുന്ന ദീപാരാധനയാണ്.
നടരാജനൃത്ത രഹസ്യംതേടി
ദക്ഷിണേന്ത്യയിൽ കാണുന്ന നടരാജ വിഗ്രഹങ്ങളിൽ എല്ലാം നാട്യശാസ്ത്രവിധിപ്രകാരമുള്ള കരണങ്ങളുടെ മാതൃകകൾ കാണാവുന്നതാണ്
ഗണപതി പ്രീതി ഇല്ലെങ്കിൽ അറിയാം
തുലാമാസത്തിലെ തിരുവോണവും, മീനമാസത്തിലെ പൂരവും, ചിങ്ങമാസത്തിലെ വിനായക ചതുർത്ഥിയും ഗണേശന് വിശേഷ ദിനങ്ങളാണ്.
വിധി മാറ്റിയെഴുതുന്ന സന്നിധി
തിരുച്ചിറപ്പള്ളി-ചെന്നൈ ദേശീയപാതയിൽ, തിരുച്ചിറപ്പള്ളിയിൽ നിന്നും ഇരുപത്തേഴ് കിലോമീറ്റർ അകലെ സ്ഥിതിചെയ്യുന്ന സിറുകന്നൂർ എന്ന സ്ഥലത്തുനിന്നും വീണ്ടും ആറുകിലോമീറ്റർ സഞ്ചരിച്ചാൽ സർവ്വ ദോഷ പരിഹാരക്ഷേത്രവും, ദുർവിധിയെ നല്ല വിധിയായി മാറ്റിക്കുറിക്കുന്ന തിരുപ്പട്ടൂർ ശ്രീ ബ്രഹ്മപുരീശ്വരക്ഷേത്രത്തിലെത്തിച്ചേരാം.
ലിഖിതജപം
ലിഖിതജപത്തിലൂടെ മനഃശാന്തി നമ്മെ തേടിയെത്തുക തന്നെ ചെയ്യും.
शाश्वत सुख दिलाने व निजस्वरूप में जगाने की व्यवस्था है यह पर्व
गुरुपूर्णिमा को व्यासपूर्णिमा और आषाढ़ी पूर्णिमा भी कहते हैं । यह व्रत पूर्णिमा भी है। कुछ व्रत होते हैं, कुछ उत्सव होते हैं परंतु गुरुपूर्णिमा व्रत और उत्सव - दोनों का दिवस है।
कलियुग में सहज, सुरक्षित साधन : गुरुआज्ञा-पालन
पहले के जमाने में शिष्य इतना पढ़ते नहीं थे जितनी गुरुसेवा (गुरुआज्ञा पालन ) करते थे। वे सेवा का महत्त्व जानते थे। गुरु की सेवा और अनुकम्पा से ही सशिष्यों को सभी प्रकार के ज्ञानों की उपलब्धि हो जाती थी। गुरुआज्ञा का, गुरु के सिद्धांतों का पालन ही गुरुदेव की सच्ची सेवा है। संदीपक, तोटकाचार्य, पूरणपोड़ा को देखो, ये इतने पढ़े-लिखे नहीं थे पर गुरुसेवा द्वारा गुरुकृपा प्राप्त कर महान हो गये।
काल टाल दिया और बना दिया महापुरुष !
प्रयाग में सन् १२९९ में एक लड़के का जन्म हुआ, जिसका नाम रामदत्त रखा गया। जब वह पढ़ने योग्य हुआ तो माता-पिता ने उसे काशी भेजा।
भारतीय संस्कृति को एक सूत्र में पिरोनेवाले शंकर
नन्ही उम्र में निकले सद्गुरु की खोज में
कामिका एकादशी का माहात्म्य एवं विधि
कामिका एकादशी : १३ जुलाई
भारतीय संस्कृति में पर्यावरण का महत्त्व
मानव जाति के संरक्षण के लिए पर्यावरण की सुरक्षा अत्यन्त आवश्यक है। दिन-प्रतिदिन दूषित होते पर्यावरण की रक्षा एवं इसके संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रति वर्ष ५ जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
योग, स्वाध्याय एवं स्वास्थ्य
२१ जून, अन्तराष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष
अंग्रेजों के जमाने से आज तक दूरसंचार
कुछ वर्ष पहले अर्न्स्ट एंड यंग की एक रिपोर्ट में भारतीय दूरसंचार उद्योग को एक तरह का आर्थिक चमत्कार कहा गया था। रिपोर्ट के अनुसार, एक अरब से अधिक आबादीवाली अर्थव्यवस्था को बाकी दुनिया के साथ जोड़ना देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिहाज से एक असामान्य उपलब्धि है।
मंगलयान से गगनयान तक ब्रह्माण्ड नापने की तैयारी
अपनी प्रतिभा, लगन, मेहनत और जुनून के बल पर जल, जमीन और आकाश पर जीत हासिल करने के बाद भारतीय अभिप्रेरणाओं का नया लक्ष्य है, यह विशाल, अथाह 'अन्तरिक्ष'...
डॉ. हेडगेवारजी का हिन्दुत्व !
२१ जून, स्मृति दिवस पर विशेष
माँ कभी कुरूप नहीं हो सकती
एक लड़का अपनी माँ के साथ एक टूटे-फूटे घर में रहता था। घर में माँ और बेटा बस दो ही प्राणी थे। माँ बहुत गरीब थी। वह अपने बेटे को बहुत प्यार करती थी।
श्रीलंका में रामायण सर्किट का निर्माण
कुछ वर्ष पूर्व तक जहाँ मर्यादा पुरुषोतम श्रीराम के अस्तित्व को नकारने का प्रयास किया जाता था, उनके काल्पनिक होने को प्रमाणित करने के लिए न्यायालयों में हलफनामा दाखिल किया जाता था, श्रीराम व उनकी धर्मपत्नी सीता के प्रेम की निशानी श्रीराम सेतु को तोड़ने के लिए विभिन्न प्रयास किये जाते थे, वहीं अब चतुर्दिक श्रीराम का प्रभाव और भी बढ़ने लगा है।
भारत की नदियों की स्थिति
अमेरिका के न्यूयॉर्क में पांच दशकों के बाद शुद्ध और ताजे पानी के लिए जल सम्मेलन सम्पन्न हुआ है।
समाजसेवी वीर सावरकर
लगभग डेढ़ दशक कारागार में कठोर सजा झेलने के बाद समाजसेवा के क्षेत्र में वीर सावरकर ने अद्वितीय कार्य किया था। राजनीति, सत्ता, सम्पत्ति व प्रसिद्धि से जुड़ी सतही सोच ने उन्हें कभी नहीं लुभाया।
पर्यावरण और हम
“जान है तो जहान है।\" इस कहावत को हम सभी जानते हैं और कई बार इसे दोहराते भी हैं। क्योंकि जबतक शरीर में जान है, तबतक मनुष्य जीवित रहता इसलिए हम कहते हैं कि - \"जान है तो जहान है।” हमारी दृष्टि में हमारी जान, यानी हमारा प्राण सबसे महत्त्वपूर्ण। इसलिए जीवित रहने के लिए हम जीवनभर कठोर परिश्रम करते हैं।
'राष्ट सर्वोपरि' की भावना से होगा भविष्य के भारत का निर्माण
एक राष्ट्र के लिए, विशेष रूप से भारत जैसे प्राचीन देश के लम्बे इतिहास में, ७५ वर्ष का समय बहुत छोटा प्रतीत होता है।
ब्रिटेन में हिन्दूफोबिया की भयावह स्थिति
द हेनरी जैक्सन सोसाइटी की रिपोर्ट ने किया उजागर
'द केरल स्टोरी' से सामने आए कई सच
प्रासंगिक सिनेमा
प्रार्थना की अवधारणा
प्रार्थना मनुष्य की जन्मजात सहज प्रवृत्ति है। इसका इतिहास मानव इतिहास के समान ही प्राचीन है।
उदारीकरण के बिना कैसे आती दूरसंचार क्रान्ति
डिजिटल तकनीक-८
'समय' : सबसे बड़ी पूंजी है
मनुष्य के पास ईश्वर प्रदत्त पूंजी 'समय' है, यही आयु है। अतः जब तक जीवन है; तब तक सारा समय श्रम करते हुए बिताना चाहिए। जितना समय आलस्य में पड़े रहकर निठल्लेपन से बिता दिया, तो समझो कि जीवन का उतना ही अंश बर्बाद हो गया।
स्वातंत्र्यवीर को नमन
स्वामी विवेकानन्द कहते थे, \"मुझे चाहिए लोहे की मांसपेशियाँ और फौलाद के स्नायु। ऐसे युवा जो समुद्र को लांघने एवं मृत्यु को भी गले लगाने की क्षमता रखते हों, ऐसे मुझे सौ भी मिल जाएं तो मैं भारत ही नहीं, सम्पूर्ण विश्व का कर कायापलट दूंगा।\"