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विलंबित खयाल का माहिर
संगीत के आकाश में सूरज की तरह चमकने वाले बेजोड़ शास्त्रीय गायक उस्ताद राशिद खां नहीं रहे। नौ जनवरी को वह दुनिया को अलविदा कह गए। उस्ताद राशिद खां का गाना एक मायने में अलग मुकाम पर था। उत्तर प्रदेश के बदायूं में जन्मे राशिद के रंगों में संगीत बचपन से ही समाया हुआ था।
बघेल पर शिकंजा
ईडी का फंदा: भूपेश बघेल
पटवारी पहरेदार
कांग्रेस पीढ़ी परिवर्तन से 2024 के मद्देनजर नए जोश में
कल्पना होगी साकार?
क्या ईडी या चुनाव आयोग की कार्रवाई की सूरत में पत्नी को कुर्सी सौंप देंगे हेमंत सोरेन
अयोध्या का संदेश क्या होगा?
क्या 2024 के आम चुनाव में भाजपा राम मंदिर निर्माण से पूरे भारत में बंपर सीटें ला पाएगी
आस्था बनाम सियासत
इस राष्ट्र राज्य और लोकतंत्र से भी पांच गुना पुराना राम मंदिर का विवाद 22 जनवरी को हो रही प्राण प्रतिष्ठा के बाद खत्म होगा या नए सिरे से जिंदा, यह सवाल पूरे समाज को मथ रहा है, कहीं बेचैनी और कहीं भक्ति की लहर
राम राजनीति लीला
2024 के लोकसभा चुनावों के पहले अयोध्या में भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का अनुष्ठान बना सियासी मसला
गठजोड़ की तोड़
मोदी की गारंटी के भरोसे प्रदेश में सभी 10 लोकसभा सीटों पर भाजपा अकेले चुनाव लड़ने को तैयार
न्याय पथ के दावे और चुनौतियां
राहुल गांधी ने उत्तरायण पर अपनी दूसरी यात्रा शुरू की है, लेकिन सवाल है कि यह कवायद माहौल बनाने के लिए है या सियासत में भी कुछ बदलाव होगा
शहरनामा - फतेहगढ़
छावनी की यादें - गंगा के किनारे बसा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के उत्तर-पश्चिमी दिशा में स्थित है। फरूर्खाबाद जिले का फतेहगढ़ शहर सेना की छावनी होने के नाते और आस-पास के गांवों में आलू की बहुतायत पैदावार होने के नाते पूरे देश में जाना-पहचाना जाता है। इसी छोटे से शहर की छावनी यादों में बसी है। फतेहगढ़ का किला और फतेहगढ़ का घटियाघाट मेरी शिद्दत के साथ अंतरचेतना में मौजूद रहता है।
तूफानी संकेत
2023 झलकियां
बीच बहस में
चर्चा और बहस मुबाहिसे का बायस बन पिछले साल प्रकाशित पुस्तकों की एक मोटी फेहरिस्त
"धर्म सबसे बड़ा शोषक और जाति प्रथा सबसे घृणित"
इस साल अपने उपन्यास 'मुझे पहचानो' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजे गए कथाकार संजीव से उनके लेखन कर्म, जीवन, मौजूदा समाज और राजनीति की दशा पर हरिमोहन मिश्र ने विस्तृत बातचीत की। उसके अंश:
सदैव अमृतामय
इमरोज (1926-2023)
लंबी रेस के घोड़े!
आइपीएल के मुनाफे में पैसों की बारिश के साथ, खिलाड़ियों की वह पहचान भी है, जिससे अब उन्हें पूरा देश जानने लगा है
सस्ता नशा महंगी कीमत
यूट्यूब, इंस्टाग्राम और टिकटॉक के दौर में आदमी ही कंटेंट है । वह जो करे, वही टैलेंट है। कौन, कब, कहां, कैसे, किस हरकत से स्टार बन जाए कहा नहीं जा सकता। अजीबोगरीब कंटेंट बनाने वाले कुछ सामान्य लोग, जिनके दीवानों की अच्छी-खासी फौज है
नई नियति, नए नियंता
कॉलिंस के शब्दकोश ने एआइ को 2023 का शब्द बताया, यथार्थ की जगह आभास, असल की जगह नकली मेधा, आदमी की जगह रोबोट, इनसानी विवेक की जगह अलगोरिद्म, और स्वतंत्रेच्छा की जगह नियति- कल की दुनिया इन्हीं से मिलकर बननी है, सोशल मीडिया की लत उस बड़ी बीमारी का महज लक्षण भर
चौबीस के मोहरे
नया साल शुरू होते ही लोकसभा चुनावों के मद्देनजर भाजपा और विपक्ष का जोर रणनीतियों पर
दौलत बड़ी या लॉयल्टी!
हार्दिक पंड्या के मुंबई इंडियंस में जाने पर बहस छिड़ी कि पैसे के लिए नई टीम में जाना कितना सही
सिनेमा के एंडलेस बार्डर्स
आठ दिवसीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का 54वां संस्करण नए निर्देशकों, अनूठी फिल्मों और बेहतरीन कलाकारों से गुलजार रहा
मजदूर केंद्रित सिनेमा के रंग
ईश्वर ने कहा, 'कामगार हों', और कामगार तबके का जन्म हो गया। ईश्वर सबको एक आंख से देखता है, तो अपनी इंसाफपसंदगी में उसने फिर कहा, 'कामगारों के दुश्मन भी हों, और इस तरह बनिये, महाजन, कॉरपोरेट और उनके रहनुमा भी पैदा हो गए। तब से लेकर अब तक दोनों पक्षों के बीच हास्यास्पद रूप से एक गैर-बराबर जंग मची हुई है।
गुमनाम मौतों के सूबे में
धनबाद के दर्जनों गांवों के बाशिंदों के लिए रोजगार का संकट उन्हें अवैध खनन की ओर ले जाता है
अंधेरी सुरंगों में रेंगती जिंदगी का उत्सव
जान जोखिम में डालकर दूसरों की सुविधा का इंतजाम करने वाले निम्न वर्ग के मजदूरों की जिंदगी खुद अंधेरी सुरंग में कैद
एक दुःस्वप्न का अंत
अंधेरी सूरंग में सत्रह दिन के पीड़ादायक अनुभव
जिंदगी से बदहाल गुदड़ी के लाल
कासगंज और बुलंदशहर के रहने वाले मजदूर मानते हैं कि मीडिया की पूछ बंद हो जाए तो जिंदगी गड्ढे में ही कटनी है।
इन नायकों को गैर-बराबरी की सुरंग से कौन निकालेगा?
जो 41 लोग बचाए गए वे मजदूर हैं, जिन 12 ने बचाया वे भी मजदूर हैं, दोनों ही सामाजिक व्यवस्था के हाथों मजबूर, सवाल इन्हें नायक बनाने से आगे का है
'भजन' भरोसे राज
राष्ट्रीय स्वयंसेवक के प्रचारक के जीवन में इससे बड़ा संयोग और सुख नहीं हो सकता कि अपने जन्मदिन पर वह देश के सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री पद की शपथ संघ के सबसे बड़े प्रचारक और देश के प्रधानमंत्री की उपस्थिति में ले।
युवा जोश को तरजीह
रेवंत रेड्डी फीनिक्स की तरह गिरकर उभरे और अपनी योग्यता साबित की और देश के सबसे युवा राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने । एक तेजतर्रार युवा नेता, जो सबको साथ लेकर चलता है
आदिवासी अहमियत
राजनीति के समीकरणों और संसदीय चुनावों पर नजर तो लाजिमी है मगर व्यक्तिगत शख्सियत के नाते साफ, सरल और संवेदनशील आदिवासी होना भी 59 वर्षीय विष्णुदेव साय के मुख्यमंत्री बनने के पक्ष में गया।
पीढ़ी क्या बदल रही
राजनैतिक फलक पर नेताओं की नई पांत की आमद