CATEGORIES
Categorías
प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष
श्रेष्ठ शिष्य की खोज में रहते हैं श्रेष्ठ गुरु
३ जुलाई, गुरु पूर्णिमा पर विशेष
समाज - मनीषा पर विश्वास हो, राजनीतिक अनिवार्यताओं पर नहीं
मैं विवेकानन्द केन्द्र के साथ सन १६७७ में जुड़ी। तब तमिलनाडु में हिन्दी का विरोध हुआ करता था।
पूजा गुरु की कीजिए...
हमारे देश में लोग अपने भक्तिभाव को ‘पूजा' के रूप में व्यक्त करते हैं। परमात्मा की पूजा, ईश्वर की उपासना यह हमारी परम्परा है, हमारी संस्कृति है। ब्रह्म के साथ एकाकार होना भक्ति है।
अंग्रेजों के जमाने से आज तक दूरसंचार
कुछ वर्ष पहले अर्न्स्ट एंड यंग की एक रिपोर्ट में भारतीय दूरसंचार उद्योग को एक तरह का आर्थिक चमत्कार कहा गया था। रिपोर्ट के अनुसार, एक अरब से अधिक आबादीवाली अर्थव्यवस्था को बाकी दुनिया के साथ जोड़ना देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिहाज से एक असामान्य उपलब्धि है।
'समय' : सबसे बड़ी पूंजी है
मनुष्य के पास ईश्वर प्रदत्त पूंजी 'समय' है, यही आयु है। अतः जब तक जीवन है; तब तक सारा समय श्रम करते हुए बिताना चाहिए। जितना समय आलस्य में पड़े रहकर निठल्लेपन से बिता दिया, तो समझो कि जीवन का उतना ही अंश बर्बाद हो गया।
उदारीकरण के बिना कैसे आती दूरसंचार क्रान्ति
डिजिटल तकनीक-८
श्रीलंका में रामायण सर्किट का निर्माण
कुछ वर्ष पूर्व तक जहाँ मर्यादा पुरुषोतम श्रीराम के अस्तित्व को नकारने का प्रयास किया जाता था, उनके काल्पनिक होने को प्रमाणित करने के लिए न्यायालयों में हलफनामा दाखिल किया जाता था, श्रीराम व उनकी धर्मपत्नी सीता के प्रेम की निशानी श्रीराम सेतु को तोड़ने के लिए विभिन्न प्रयास किये जाते थे, वहीं अब चतुर्दिक श्रीराम का प्रभाव और भी बढ़ने लगा है।
प्रार्थना की अवधारणा
प्रार्थना मनुष्य की जन्मजात सहज प्रवृत्ति है। इसका इतिहास मानव इतिहास के समान ही प्राचीन है।
'द केरल स्टोरी' से सामने आए कई सच
प्रासंगिक सिनेमा
भारत की नदियों की स्थिति
अमेरिका के न्यूयॉर्क में पांच दशकों के बाद शुद्ध और ताजे पानी के लिए जल सम्मेलन सम्पन्न हुआ है।
डॉ. हेडगेवारजी का हिन्दुत्व !
२१ जून, स्मृति दिवस पर विशेष
माँ कभी कुरूप नहीं हो सकती
एक लड़का अपनी माँ के साथ एक टूटे-फूटे घर में रहता था। घर में माँ और बेटा बस दो ही प्राणी थे। माँ बहुत गरीब थी। वह अपने बेटे को बहुत प्यार करती थी।
भारतीय संस्कृति में पर्यावरण का महत्त्व
मानव जाति के संरक्षण के लिए पर्यावरण की सुरक्षा अत्यन्त आवश्यक है। दिन-प्रतिदिन दूषित होते पर्यावरण की रक्षा एवं इसके संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रति वर्ष ५ जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
ऐश्वर्यमयी जगद्धात्री
एक दिन की बात है। वर्ष तथा तारीख याद नहीं और उसकी ज़रूरत भी क्या है! माँ की भतीजी राधू बहुत दिनों से बीमार थी।
चीतों का अमृतकाल
भारतीय स्वतंत्रता के अमृतकाल में यह प्रसन्नता की बात है कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान में सियाया नाम की नामीबियाई मूल की मादा चीता ने चार शावकों को जन्म दिया है।
योग, स्वाध्याय एवं स्वास्थ्य
२१ जून, अन्तराष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष
मूल्य आधारित शिक्षा है सुख की अनुभूति अनुभूति का आधार
हमारी प्राचीन गौरवशाली भारतीय संस्कृति समस्त विश्व के सुख, समृद्धि एवं शान्ति की कामना करती है।
'राष्ट सर्वोपरि' की भावना से होगा भविष्य के भारत का निर्माण
एक राष्ट्र के लिए, विशेष रूप से भारत जैसे प्राचीन देश के लम्बे इतिहास में, ७५ वर्ष का समय बहुत छोटा प्रतीत होता है।
ब्रिटेन में हिन्दूफोबिया की भयावह स्थिति
द हेनरी जैक्सन सोसाइटी की रिपोर्ट ने किया उजागर
समाजसेवी वीर सावरकर
लगभग डेढ़ दशक कारागार में कठोर सजा झेलने के बाद समाजसेवा के क्षेत्र में वीर सावरकर ने अद्वितीय कार्य किया था। राजनीति, सत्ता, सम्पत्ति व प्रसिद्धि से जुड़ी सतही सोच ने उन्हें कभी नहीं लुभाया।