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वीर बालक विनायक सावरकर
महाराष्ट्र के नासिक जिले के गांव भगुर में धर्मपरायण एवं देशभक्त परिवार रहता था। उस परिवार के मुखिया थे दामोदर पंत सावरकर और उनकी पत्नी राधाबाई सावरकर। उनके तीन पुत्र एवं एक पुत्री थी।
वीर बालक बिशन सिंह कूका
देशधर्म पर बलि हो जाना बचपन से जो सीख चुके। अत्याचार - क्रूरता - पशुता झेल गए पर नहीं झुके।।
धर्महित समर्पित वीर गुरु पुत्रों की गौरव गाथा
२६ दिसम्बर वीर बाल दिवस पर विशेष
वी. ओ. चिदम्बरम पिल्लै
स्थानिक विभूतियों की कथा : १६
फिनटेक में सबसे आगे निकल गया भारत
डिजिटल तकनीक : ३
सहरिया जनजाति की गौरव गाथा
१५ नवम्बर जनजातीय गौरव दिवस पर विशेष
ईसाई षड़यंत्रों के लिए बड़ी चुनौती थे भगवान बिरसा मुंडा
१५ नवबर बिरसा मुंडा जयंती पर विशेष
हनुमान को लगी भूख
श्री हनुमत कथा : १६
... आप ही आदमी बन जाइए न!
एक सेठ की दुकान के बाहर कुछ मज़दूर काम कर रहे थे। गर्मी का मौसम था । तेज़ धूप पड़ रही थी। तभी एक मज़दूर को ज़ोर से प्यास लगी।
चिकित्सा शिक्षा अब हिन्दी माध्यम में
केन्द्र में श्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से अनेक मिथक टूट रहे हैं। कश्मीर से अनुच्छेद-३७० और धारा ३५-ए का समाप्त होना, अयोध्या में राम मन्दिर का बनना, वाराणसी में काशी विश्वनाथ और उज्जैन में महाकाल मन्दिर व अन्य मन्दिरों के कायाकल्प के बाद एमबीबीएस अर्थात चिकित्सा व अभियांत्रिकी की पढ़ाई हिन्दी माध्यम से होने जा रही है।
धार्मिक आस्था पर चोट क्यों?
टी.वी. चैनलों और डिजिटल माध्यमों पर एक साथ कुछ हजार लोगों को यह कहते सुना कि हम राम, कृष्ण, ब्रह्मा, विष्णु, महेश को भगवान नहीं मानेंगे और उनकी पूजा नहीं करेंगे तो भी अन्तर्मन में एक साथ गुस्सा और हैरत के भाव पैदा होंगे।
क्या न करें?
चरित्र निर्माण की कुंजी : १६
विवेकानन्द सन्देश यात्रा राजस्थान
राष्ट्रसेवा कार्य से जुड़ने का अवसर
जन्म-मृत्यु संगम
चमकते तारे और सुस्मित सुमन : २५
सम्पादकीय - हमारे प्रेरणास्रोत : मा. श्री एकनाथजी
माननीय श्री एकनाथजी का नाम लेते ही स्वामी विवेकानन्दजी का सहज ही स्मरण हो आता है, और जब स्वामी विवेकानन्द की बात होती है तो आँखों के सामने उभरता है कन्याकुमारी स्थित भव्य विवेकानन्द शिला स्मारक का दृश्य।
अन्त: प्रेरणा की वाणी, ज्ञान परमात्मा की प्रतीक सरस्वती
आदि ग्रन्थ ऋग्वेद में पुण्यसलिला सरस्वती को नदितमे के साथ ही देवितमे भी कहा गया है।
एकात्मता का व्यवहार
कथा कल्पतरु : १२
सीता के दर्शन हुए
श्री हनुमत कथा : १५
तुलसीदास
चित्रकथा
माता-पिता में बसते हैं समस्त तीर्थ
प्रासंगिक
स्वतंत्रता आंदोलन के भूले-बिसरे सेनानी
जो समाज पूर्वजों की विरासत एवं थाती को भूल जाता है, वह जड़ों से कट जाता। अपने पूर्वज एवं उनके कार्यों को स्मरण करते रहने से अपने होने का अर्थ ज्ञात रहता है, राष्ट्रीय एकता एवं अस्मिता बोध भी जाग्रत रहता है। एकता में शक्ति है। विखंडन में पतन। विश्व की कई सभ्यताएँ खंड-खंड होकर ही नष्ट हुई हैं। अतः भारत हैं बोध जाग्रत रहना चाहिए, ताकि भारत अखंड रह सके।
निज भाषा में सबके लिए डिजिटल साक्षरता
डिजिटल तकनीक
धैर्य मनुष्य के विकास का मूल आधार
व्यक्तित्व विकास
राष्ट्र को शिखर पर ले जाने का मार्ग
राष्ट्र-चिन्तन
विश्वबंधुत्व दिवस
स्वामी विवेकानन्द ने वर्ष १८६३ में शिकागो में धर्म संसद में अपने भाषणों और पश्चिमी दुनिया में बाद के भाषणों के साथ, भारत के बारे में तत्कालीन सोच को अकेले ही बदल दिया था।
महर्षि योगी अरविन्द
१५ अगस्त जयन्ती पर विशेष
क्रान्तिकारी सुशीला देवी
भारत की स्वतंत्रता एक दीर्घकालिक संघर्ष एवं असंख्य बलिदानों की परिणीति थी।
गांधी : एक अभिनव मूल्यांकन
५ फरवरी, १६२५ को "यंग इण्डिया' में गांधीजी ने एक महाशय का पत्र और उसका उत्तर छापा । पत्र-लेखक द्वारा लिखा गया था- "आप हर वक्त हमसे कहते हैं कि मुसलमानों के सामने झुको। उनके विरुद्ध अदालत भी कदापि मत जाओ। अच्छा बताइए हमारी ही जमीन पर हमसे पूछे बिना ही कोई मस्जिद बनाने लगे तो हम क्या करें?"
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस
“तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' - इस उद्घोष से भारतवर्ष में शक्ति का जागरण करनेवाले भारत माँ के क्रान्तिकारी सपूत नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का जन्म २३ जनवरी १८६७ को जानकीनाथ और प्रभाती बोस के घर में जब हुआ तब शायद ही उनके माता-पिता ने कभी सोचा हो कि उनका यह छठा पुत्र और नौवां बच्चा भारत के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़नेवाला है। हालांकि माता-पिता को यह मअनुभव होने में देर नहीं लगी कि उनका यह पुत्र सुभाषचन्द्र अपने बाकी भाई और बहनों से बहुत अलग था।
महान स्वतंत्रता सेनानी तात्या टोपे
वर्ष १८५६ में शिवपुरी में स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी, शौर्य और दुस्साहस के प्रतीक तात्या टोपे को अंग्रेजों द्वारा फांसी दी गई थी।