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'नायाब' कामयाबी
चौंकाने वाले चुनाव नतीजे ने इतिहास में पहली बार बनाई किसी दल की लगातार तीसरी सरकार
नसरुल्ला के बाद क्या?
कथित प्रतिरोध संगठनों के हाथ लगातार लग रही नाकामी संभव है कि पश्चिमी एशिया में एक बार फिर से शिया-सुन्नी टकरावों के चलते गृहयुद्ध जैसी कोई स्थिति पैदा कर दे
हिज्बुल्ला अभी जिंदा है
सवाल यह है कि अब नेतन्याहू क्या करेंगे? इजरायल की क्या योजना है? और क्या ईरान इस जंग में कूदेगा?
शहरनामा - सारण
सारण बिहार का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और पर्यटन स्थल है।
आदर्श इंदिरा की तलाश
भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के प्रति बॉलीवुड की दीवानगी के बावजूद हिंदी फिल्म को उनके सशक्त चरित्र का इंतजार
कैमरे में राजनीति
नई पीढ़ी यह जानकर अवाक रह जा सकती है कि अपने दूसरे आम चुनाव में राजीव गांधी भरी गर्मी में पैसेंजर ट्रेन के साधारण दूसरे दर्जे में सवार होकर उत्तर प्रदेश की चुनावी खाक छानने निकल पड़े थे।
क्रिकेट में नई चुनौती देश चुनें या पैसा!
खिलाड़ी, नया प्रारूप, क्रिकेट बदल रहा है धीरे-धीरे अपना पुराना स्वरूप
एक अदम्य क्रांतिकारी
येचुरी ने राजनैतिक कार्यकर्ताओं, बौद्धिकों और नेताओं की पीढ़ियों को प्रभावित किया, उनकी विरासत न्यायपूर्ण और समतापूर्ण समाज के संघर्षों को रास्ता दिखाती रहेगी
राष्ट्रपति चुनाव में 'गैरों' का खौफ
कमला हैरिस अपना आत्मविश्वास वापस पा चुकी हैं और उनकी लोकप्रियता उठान पर है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रम्प की आर्थिक नीतियों का समर्थन लड़ाई को फंसा सकता है
गांधी को शांति सेना पर पुनर्विचार
आज के दौर में जब अशांति सेनाओं को संरक्षण दिया जाता है और शांति सेना का दमन किया जाता है, यह काम कठिन हो गया है
राजनैतिक तीर्थस्थली से मिलती शक्ति
देश के हर बड़े आंदोलन में गांधीवादी कार्यकर्ताओं की भागीदारी मजबूती से रही, आज भी देश अगर गांधी के आश्रमों और उसके लोगों की तरफ उम्मीद से देखता है तो यह बापू के पुण्य-प्रताप के साथ उनके लाखों अनुयायियों के पुण्य प्रताप का भी असर
देश बार-बार महात्मा को खोजता है
यह देश महात्मा गांधी का है, इस देश को जो भी खोजने निकलेगा, उसे महात्मा गांधी मिल ही जाएंगे
फूटा पैकेज का गुब्बारा
कारोबारी माहौल, उत्पादन क्षेत्र की मंदी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मुनाफे पर कंपनियों का जोर आइआइटी के छात्रों को न सिर्फ बेरोजगार कर रहा है, उनकी जान भी ले रहा
'इल्तिजा' सुने जाने का इंतजार
महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा युवाओं में तो लोकप्रिय मगर कड़े मुकाबले में फंसीं
जनाना जिमखाना का बहाना
कपा के गढ़ कुलगाम में दिग्गज तारिगामी को जमात के रेशी की चुनौती में बदलती बहस और मुद्दों की गरमाहट
"कांग्रेस में कोई बगावत नहीं"
दस साल विपक्ष की भूमिका में रही कांग्रेस जिला स्तरीय संगठनों के बगैर ही चुनाव में उतरी है। मुख्यमंत्री पद की चाह में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और एसआरबी (सेलजा, रणदीप, बीरेंद्र) गुट में भितरघात की आशंका बनी हुई है। उनके चुनाव प्रचार भी जुदा-जुदा हैं और टिकटों के लिए घमासान भी छिड़ा। इन तमाम चुनौतियों को नकारते हुए कांग्रेस की बड़ी जीत के प्रति आश्वस्त पूर्व मुख्यमंत्री तथा नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा से आउटलुक के एसोसिएट एडिटर हरीश मानव की बातचीत के प्रमुख अंश:
"नतीजे त्रिशंकु आए तो अनुकूल पार्टियों के साथ गठबंधन करेंगे"
ऐन लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने एंटीइन्कंबेंसी के डर से मनोहरलाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया ताकि ओबीसी वोटरों पर डोरा डाला जा सके। विधानसभा चुनाव में सैनी ही भाजपा के मुख्यमंत्री पद का चेहरा हैं, लेकिन उन्हें कामकाज के लिए महज 56 दिन मिले। इस दौरान वे भाजपा के लिए चुनावी जमीन तैयार करने में कितने सफल रहे? ऐसे सवालों पर आउटलुक के एसोसिएट एडिटर हरीश मानव ने प्रचार की व्यस्तता के बीच उनसे बातचीत की। प्रमुख अंश:
जोड़-जुगाड़ का धुंधलका
कांग्रेस और भाजपा के बीच दोतरफा लड़ाई इनेलो और निर्दलीयों की भीड़ तथा गोपनीय समझौतों से थोड़ी उलझी
हिंदी सिनेमा में बलात्कार की संस्कृति
बलात्कार की संस्कृति को हिंदी फिल्मों ने लगातार वैधता दी है और उसे प्रचारित किया है
कहानी सूरमाओं की
पेरिस में भारत के शानदार प्रदर्शन से दिव्यांग एथलीटों की एक पूरी पीढ़ी को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली
शेखपुर गुढ़ा की फूलन देवियां
शेखपुर गुढ़ा और बेहमई महज पचास किलोमीटर दूर स्थित दो गांव नहीं हैं, बल्कि चार दशक पहले फूलन देवी के साथ हुए अन्याय के दो अलहदा अफसाने हैं
महाशक्तियों के खेल में बांग्लादेश
बांग्लादेश का घटनाक्रम दक्षिण एशिया के भीतर शक्ति संतुलन और उसमें अमेरिका की भूमिका के संदर्भ में देखे जाने की जरूरत
तलछट से उभरे सितारे
फिल्मों में मामूली भूमिका पाने के लिए वर्षों कास्टिंग डायरेक्टरों के दफ्तरों के चक्कर लगाने वाले अभिनेता आजकल मुंबई में पहचाने नाम बन गए हैं, उन्हें न सिर्फ फिल्में मिल रही हैं बल्कि छोटी और दमदार भूमिकाओं से उन्होंने अपना अलग दर्शक वर्ग भी बना लिया
"संघर्ष के दिन ज्यादा रचनात्मक थे"
फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर के लगभग सभी कलाकार आज बड़े नाम हो चुके हैं, लेकिन उसके जरिये एक्टिंग की दुनिया में कदम रखने वाले फैसल मलिक के लिए संघर्ष के दिन कुछ और साल तक जारी रहे। बॉलीवुड में करीब 22 साल गुजारने वाले फैसल से राजीव नयन चतुर्वेदी की खास बातचीत के संपादित अंश:
ग्लोबल मंच के लोकल सितारे
सिंगल स्क्रीन सिनेमाहॉल का दौर खत्म होने और मल्टीप्लेक्स आने के संक्रमण काल में किसी ने भी गांव-कस्बे में रह रहे लोगों के मनोरंजन के बारे में नहीं सोचा, ओटीटी का दौर आया तो उसने स्टारडम से लेकर दर्शक संख्या तक सारे पैमाने तोड़ डाले
बलात्कार के तमाशबीन
उज्जैन में सरेराह दिनदहाड़े हुए बलात्कार पर लोगों का चुप रहना, उसे शूट कर के प्रसारित करना गंभीर सामाजिक बीमारी की ओर इशारा
कांग्रेस की चुनौती खेमेबाजी
पार्टी चुनाव दोतरफा होने के आसार से उत्साहित, बाकी सभी वजूद बचाने में मशगूल
भगवा कुनबे में बगावत
दस साल की एंटी-इन्कंबेंसी और परिवारवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद जैसे समीकरण साधने के चक्कर में सत्तारूढ़ भाजपा कलह के चक्रव्यूह में फंसी
टोपी पहनाने का चुनाव
नेशनल कॉन्फ्रेंस के गढ़ में उमर अब्दुल्ला ने मतदाताओं से अपनी इज्जत बचाने की लगाई गुहार
शहरनामा - बेलगावी
दो नाम सुन कर आपको आश्चर्य होता है। क्यों? आपके दो नाम होते हैं, सो मेरे भी हैं, बेलगाम और बेलगावी।